यह सच है कि हम में से कोई भी बुरा या भला नहीं होता केवल समझ का अंतर होता है। कोई गिलास के भरे हिस्से को ध्यान में रख कर अपने विचार प्रकट करता है तो कोई खाली हिस्से को। लेकिन फिर भी रिश्तों में गलतफहमियाँ और प्राथमिकताएँ अक्सर मनमुटाव का कारण बनती हैं। फिर तो यह लकीरें इतनी गहरी खिचतीं जातीं है कि बड़े-बड़े देश भी इन लकीरों की जंग से खुद को बचा नहीं पाते। तो साथियों जीवन के रंग-बिरंगे नज़ारे, कभी हँसाते हैं तो कभी रूलाते हैं। इन्हीं रिश्तों के ताने-बाने को जब कभी भी मन की गहराईयों से समझने का प्रयास किया उसने खुदबखुद कहानी का रूप धारण कर लिया। 'काँच के गिलास' संग्रह के बाद आप से जुड़ने का यह मेरा एक और भावनात्मक प्रयास है।
Jati Na Pucho Meri
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₹150
₹180
Format: | Paperback |
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ISBN No. | 9789386447500 |
Publication date: | 05 Mar 2018 |
Publisher: | Rigi Publication |
Publication City/Country: | India |
Language: | Hindi |
Book Pages: | 112 |
Book Size: | 5" x 8" |
Book Interior: |